gayatrisankar
Thursday, July 28, 2011
My friend Deepak's piece
चलती हैं आंखे मिलती हैं यादें क़दम-क़दम पे
चाहे तो लेकर चल या झटक दे किसी मोड़ पे
लेखक दीपक डोगरा
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